अमित सिंह: किसानों को सशक्त बनाने वाले एक दूरदर्शी नेता

अमित सिंह: भारतीय कृषि क्रांति के अग्रदूत और किसानों के सशक्तिकरण का प्रतीक
भारत में, जहाँ कृषि 50% से अधिक आबादी की आजीविका का आधार है, लेकिन जहाँ छोटे जोत, बाजार की अक्षमताएँ और जलवायु संकट जैसी चुनौतियाँ गहरी हैं, अमित सिंह एक उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-बीएचयू) से एम.टेक की डिग्री लेकर इस इंजीनियर और नवोन्मेषक ने अपना जीवन भारतीय कृषि को बदलने के मिशन को समर्पित कर दिया है। उनका लक्ष्य पारंपरिक खेती और आधुनिक तकनीक के बीच की खाई को पाटकर छोटे किसानों को गरीबी से बाहर निकालना, उन्हें आत्मनिर्भर बनाना और टिकाऊ आजीविका का निर्माण करना है।
आईआईटी से खेतों तक: एक सार्थक यात्रा
अमित सिंह के पास एक प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट करियर चुनने के लिए सभी योग्यताएँ थीं। लेकिन ग्रामीण भारत के प्रति जिम्मेदारी की भावना ने उन्हें एक अलग रास्ता दिखाया। उन्होंने पहचाना कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले किसान अक्सर कम उपज, बिचौलियों के शोषण और स्थिर आय से जूझते हैं। इसलिए उन्होंने अपने तकनीकी ज्ञान का उपयोग कर किसानों की जरूरतों के अनुरूप समाधान तैयार किए। उनका दृष्टिकोण नवाचार और ग्रामीण जमीनी हकीकत का अनूठा मेल है, जो उन्हें कृषि-तकनीक और समुदाय-केंद्रित विकास का एक विरल चेहरा बनाता है।
भारत के पहले किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की स्थापना
6 फरवरी, 2021 को अमित सिंह ने इतिहास रचते हुए उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भारत का पहला पंजीकृत किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) स्थापित किया। कृषि उत्पादक संगठन एवं औद्योगिक विकास सहकारी समिति नामक इस संगठन की शुरुआत हरी मिर्च और मशरूम प्रसंस्करण इकाई के रूप में हुई। अमित के नेतृत्व में यह संगठन अब एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन चुका है, जो हजारों किसानों को पारंपरिक खेती से लाभकारी कृषि-उद्यमिता की ओर ले जा रहा है।
एफपीओ की प्रमुख उपलब्धियाँ:
- आय में वृद्धि: बिचौलियों को हटाकर, एफपीओ किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाता है। सामूहिक सौदेबाजी और सीधे बाजार संपर्क से सदस्य किसानों की आय में 50–70% तक की बढ़ोतरी हुई है।
- फसल विविधीकरण और मूल्यवर्धन: एफपीओ मशरूम और हरी मिर्च जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों को बढ़ावा देता है, किसानों को प्रसंस्करण तकनीक (जैसे सुखाना, पैकेजिंग) सिखाता है, और विशेष बाजारों तक पहुंच बनाता है।
- विस्तार: उत्तर प्रदेश से शुरू होकर यह संगठन अब बिहार, झारखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में सक्रिय है।
ज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से सशक्तिकरण
अमित सिंह का मानना है कि “ज्ञान ही शक्ति है”। इसलिए उनका एफपीओ किसानों को निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रशिक्षित करता है:
- आधुनिक कृषि तकनीक: उपज बढ़ाने के लिए सटीक कृषि पद्धतियाँ, ड्रिप सिंचाई और जैविक खेती।
- फसल विविधीकरण: पानी की अधिक खपत वाली फसलों के बजाय जलवायु-अनुकूल और मांग वाली फसलों पर ध्यान।
- डिजिटल साधन: मौसम पूर्वानुमान, मिट्टी की सेहत की निगरानी और बाजार भाव जानने के लिए मोबाइल ऐप्स का उपयोग।
पुरस्कार और सम्मान: एक ग्रामीण दूरदर्शी को मिली मान्यता
अमित के कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। कृषि में तकनीकी नवाचार और ग्रामीण विकास के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं। आईआईटी-आधारित तकनीकी समाधानों और सहकारी प्रबंधन को जोड़ने वाला उनका मॉडल अब कृषि सुधारों के लिए एक आदर्श बन गया है।
आगे का रास्ता: आत्मनिर्भर किसानों का भविष्य
अमित सिंह का सपना है कि भारत का हर किसान आत्मनिर्भर, डिजिटल रूप से सक्षम और बाजार व पर्यावरणीय झटकों से लड़ने में सक्षम हो। इसके लिए उनका एफपीओ निम्नलिखित योजनाएँ लॉन्च कर रहा है:
- सौर ऊर्जा संचालित कोल्ड स्टोरेज इकाइयाँ ताकि फसलों के बर्बाद होने की दर कम हो।
- ई-कॉमर्स पार्टनरशिप जो किसानों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़े।
- महिला-केंद्रित कार्यक्रम जो कृषि व्यवसाय में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएँ।
निष्कर्ष: उम्मीद की बुआई, समृद्धि की कटाई
अमित सिंह की कहानी शिक्षा, नवाचार और मानवीय संवेदनशीलता की ताकत को दर्शाती है। किसानों को उद्यमी बनाकर और सामूहिक शक्ति को मजबूत करके, वे न केवल गरीबी को दूर कर रहे हैं, बल्कि कृषि को एक गतिशील और आधुनिक क्षेत्र के रूप में पुनर्परिभाषित कर रहे हैं। एक ऐसे देश में जहाँ छोटे किसान अक्सर स्वयं को उपेक्षित महसूस करते हैं, अमित का कार्य यह याद दिलाता है कि सतत बदलाव तभी आता है जब हम उन्हें सशक्त बनाते हैं जो देश को खिलाते हैं। उनकी यात्रा नई पीढ़ी को प्रेरित करती है कि सही दृष्टि और संसाधनों के साथ, भारत के खेत वास्तव में समृद्धि के अखाड़े बन सकते हैं।
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कृषक उत्पादक संगठन एवं औद्योगिक विपण सहकारी समिति वाराणसी, उत्तर प्रदेश