प्रयागराज
प्रयागराज, जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख जिला और ऐतिहासिक नगर है। यह गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित होने के कारण भारत के सबसे पवित्र धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों में से एक है। जिले की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख हिस्सा कृषि है, और यह क्षेत्र अपनी उपजाऊ भूमि, समृद्ध फसल विविधता और नवाचार के लिए प्रसिद्ध है। आइए, प्रयागराज के कृषि परिदृश्य और किसानों की स्थिति पर गहराई से नज़र डालते हैं।
इतिहास
प्रयागराज का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है और इसे वैदिक युग में “प्रयाग” के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है “त्याग का स्थान”। मुगल सम्राट अकबर ने इसका नाम बदलकर “इलाहाबाद” रखा, जो फारसी शब्द “इलाह” (ईश्वर) और “आबाद” (बसावट) से प्रेरित था। 2018 में, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, इसका नाम पुनः प्रयागराज कर दिया गया। यह नगर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र बिंदु भी रहा है और कई महापुरुषों का कार्यक्षेत्र रहा है।
भौगोलिक और प्रशासनिक संरचना
प्रयागराज जिले का कुल क्षेत्रफल 5,482 वर्ग किलोमीटर है और यह उत्तर प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित है। जिले में 3,178 गाँव हैं, जो 8 तहसीलों और 23 विकास खंडों में विभाजित हैं।
तहसील और विकास खंड
- करछना तहसील: चाका, करछना, कौंधियारा विकास खंड।
- कोरांव तहसील: कोरांव विकास खंड।
- फूलपुर तहसील: बहरिया, फूलपुर, बहादुरपुर विकास खंड।
- बारा तहसील: जसरा, शंकरगढ़ विकास खंड।
- मेजा तहसील: उरुवा, मेजा, मांडा विकास खंड।
- सदर तहसील: –
- सोरांव तहसील: कौड़ीहार, होलागढ़, मऊआइमा, सोरांव विकास खंड।
- हंडिया तहसील: प्रतापपुर, सैदाबाद, धनुपुर, हंडिया विकास खंड।
भौगोलिक स्थिति
- स्थान: उत्तर प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित।
- क्षेत्रफल: 5,482 वर्ग किलोमीटर।
- नदियाँ: गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम।
- जनसंख्या: लगभग 59 लाख (2021 के अनुमान अनुसार)।
- भाषाएँ: हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी।
- औसत वार्षिक तापमान: 26°C।
- पिन कोड रेंज: 211001 से 211016।
परिवहन
प्रयागराज उत्कृष्ट परिवहन सुविधाओं के साथ उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
- रेलवे: प्रयागराज जंक्शन, देश के सबसे व्यस्त और आधुनिकतम रेलवे स्टेशनों में से एक है।
- वायुमार्ग: बमरौली हवाई अड्डा, जो प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग: लखनऊ, वाराणसी और कानपुर सहित अन्य प्रमुख शहरों से उत्कृष्ट कनेक्टिविटी।
प्रमुख स्थल
- त्रिवेणी संगम: हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र तीर्थ।
- आनंद भवन: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नेहरू परिवार का ऐतिहासिक निवास।
- अकबर का किला: ऐतिहासिक महत्व का स्थापत्य।
- खुसरो बाग: मुगल कला और स्थापत्य का बेहतरीन उदाहरण।
- लेटे हुये हनुमान जी का मंदिर: धार्मिक आस्था का केंद्र।
प्रमुख व्यक्तित्व
- पंडित जवाहरलाल नेहरू: भारत के प्रथम प्रधानमंत्री।
- हर्षवर्धन: प्राचीन भारत के सम्राट।
- महादेवी वर्मा: हिंदी साहित्य की प्रमुख कवयित्री।
- अमिताभ बच्चन: प्रसिद्ध अभिनेता।
कृषि और किसान
प्रयागराज का कृषि क्षेत्र जिले की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। गंगा और यमुना के किनारे स्थित होने के कारण इसकी भूमि अत्यधिक उपजाऊ है। यहाँ का कृषि ढाँचा विविधतापूर्ण और आधुनिकता से प्रेरित है।
मिट्टी और जलवायु
प्रयागराज की भूमि उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी से समृद्ध है, जो गंगा और यमुना नदियों के दोआब क्षेत्र में पाई जाती है। यह क्षेत्र समशीतोष्ण जलवायु का आनंद लेता है, जो फसलों की विविधता को बढ़ावा देता है।
मिट्टी और जलवायु
- मिट्टी के प्रकार:
- जलोढ़ मिट्टी (गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र)।
- रेतीली और दोमट मिट्टी।
- जलवायु: समशीतोष्ण जलवायु।
- वार्षिक वर्षा: 800-1,000 मिमी।
मुख्य फसलें
- खरीफ: धान, मक्का, अरहर।
- रबी: गेहूँ, चना, सरसों।
- जायद: मूंग, तरबूज, खीरा।
फल और सब्जियाँ
- फल: इलाहाबादी अमरूद (GI टैग प्राप्त), आम, केला।
- सब्जियाँ: टमाटर, आलू, बैंगन, मिर्च।
आधुनिक कृषि और नवाचार
- जैविक खेती: स्थानीय किसानों के लिए बढ़ावा।
- सिंचाई: ड्रिप और स्प्रिंकलर तकनीकों का उपयोग।
- उन्नत कृषि उपकरण: सब्सिडी पर ट्रैक्टर, थ्रेशर और पावर टिलर।
कृषि विपणन
- प्रमुख मंडियाँ:
- नवाबगंज मंडी।
- फूलपुर मंडी।
- मेजा मंडी।
- फसल खरीद केंद्र:
- धान और गेहूँ के लिए एफसीआई केंद्र।
- सहकारी समितियाँ।
स्थानीय कृषि की उपलब्धियाँ
- इलाहाबादी अमरूद को GI टैग।
- जैविक उत्पादों का निर्यात।
- 20% किसान फसल विविधीकरण (crop diversification) अपना रहे हैं।
किसान उत्पादक संगठन (FPO):
किसानों को संगठित करने और उनकी फसलों को उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रयागराज में 12 FPO सक्रिय हैं।
प्रयागराज की कृषि न केवल जिले की आर्थिक नींव है, बल्कि यह इसकी सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का भी हिस्सा है। समृद्ध जलवायु, उपजाऊ मिट्टी, और किसानों की मेहनत ने इसे कृषि के लिए एक आदर्श स्थान बनाया है। सरकारी योजनाओं और आधुनिक तकनीकों के सही उपयोग से यह जिला न केवल आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ सकता है। सतत प्रयास और किसानों के सहयोग से प्रयागराज कृषि क्षेत्र में और अधिक ऊँचाइयों को छू सकता है।
