किसानों और FPO के लिए निर्यात प्रशिक्षण

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Gujrat FPOs export training at Varanasi

Table of Contents

निर्यात (Export) क्या है?

निर्यात का मतलब है किसी देश में उत्पादित वस्तुओं या सेवाओं को दूसरे देशों में बेचना। यह व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है। किसानों और FPO (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) के लिए निर्यात एक बड़ा अवसर है, जिससे वे अपनी आय बढ़ा सकते हैं। कृषि बजट 2025 अब जारी हो चुका है, और यह उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए किसान उत्पादक संगठन (FPO) के माध्यम से निर्यात प्रशिक्षण को बढ़ावा देने का एक सुनहरा अवसर लेकर आया है।

इस मूल मंत्र को आत्मसात करते हुए, कृषि उत्पादक संगठन एवं औद्योगिक विपणन सहकारी समिति टिकरी, वाराणसी में किसानों एवं FPOs को निर्यात प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों के उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाना, वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना एवं भारत का सम्मान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाना है।

निर्यात क्यों महत्वपूर्ण है?
निर्यात से किसानों को अपने उत्पादों के लिए बड़े बाजार मिलते हैं। इससे उनकी आय बढ़ती है और स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। साथ ही, निर्यात से देश को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है, जो आर्थिक विकास के लिए जरूरी है।

किसानों और एफपीओ (FPOs) के लिए निर्यात के फायदे।

  1. आय में वृद्धि: निर्यात से किसानों को उचित मूल्य मिलता है।
  2. बाजार का विस्तार: अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच बनती है।
  3. गुणवत्ता में सुधार: निर्यात के लिए उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ानी पड़ती है।
  4. सरकारी सहायता: निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार योजनाएं चलाती है।

उत्तर प्रदेश में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की संभावनाएं।
उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा कृषि उत्पादक राज्य है। यहां गेहूं, चावल, आलू, आम, और अमरूद जैसे उत्पादों की भरपूर पैदावार होती है। प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों जैसे फलों के रस, अचार, और सूखे मेवों की भी बड़ी मांग है। इन उत्पादों को निर्यात करके किसान और एफपीओ अपनी आय बढ़ा सकते हैं।

निर्यात कैसे किया जाता है?

निर्यात एक ऐसी प्रक्रिया है जो किसानों और एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) को अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने का अवसर देती है। यह प्रक्रिया शुरुआत में जटिल लग सकती है, लेकिन सही मार्गदर्शन और प्रशिक्षण से इसे आसानी से समझा जा सकता है। निर्यात करने के लिए कुछ मुख्य कदमों का पालन करना होता है। यह प्रक्रिया उत्पाद चयन से शुरू होकर भुगतान प्राप्ति तक चलती है। हर कदम पर सही जानकारी और तैयारी जरूरी है।

Export (निर्यात) के लिए आवश्यक कदम

1. उत्पाद चयन

  • सबसे पहले यह तय करें कि कौन सा उत्पाद निर्यात करना है।
  • उन उत्पादों को चुनें जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग है।
  • उदाहरण: आम, बासमती चावल, मसाले, और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद।

2. बाजार शोध (मार्केट रिसर्च)

  • उस देश का बाजार शोध करें जहां निर्यात करना है।
  • मांग, प्रतिस्पर्धा, और मूल्य निर्धारण का अध्ययन करें।
  • सरकारी पोर्टल जैसे एपीडा (APEDA) और डीजीएफटी (DGFT) से जानकारी प्राप्त करें।

3. खरीदार (बायर) से संपर्क

  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (जैसे इंडिया मार्ट, एलायंस ट्रेड) का उपयोग करें।
  • व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लें।
  • निर्यात प्रोमोशन काउंसिल (EPC) से संपर्क करें।

4. मूल्य निर्धारण और वार्ता

  • खरीदार के साथ मूल्य और शर्तों पर बातचीत करें।
  • लागत, मुनाफा, और शिपमेंट खर्च को ध्यान में रखें।

5. आदेश (ऑर्डर) प्राप्ति

  • खरीदार से आदेश प्राप्त करें।
  • आदेश की पुष्टि करें और उत्पादन की योजना बनाएं।

6. उत्पादन और पैकेजिंग

  • उत्पाद को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार तैयार करें।
  • पैकेजिंग का ध्यान रखें ताकि उत्पाद सुरक्षित रहे।

7. दस्तावेज़ीकरण और प्रमाणन

  • आवश्यक दस्तावेज़ तैयार करें:
    • आयात-निर्यात कोड (IEC)।
    • एपीडा पंजीकरण।
    • फाइटोसैनेटरी प्रमाणपत्र।
    • वाणिज्यिक इनवॉइस और पैकिंग लिस्ट।

8. शिपमेंट और लॉजिस्टिक्स

  • उत्पाद को खरीदार तक पहुंचाने की योजना बनाएं।
  • शिपमेंट कंपनी का चयन करें और लॉजिस्टिक्स का प्रबंधन करें।

9. भुगतान प्रक्रिया

  • भुगतान के तरीके:
    • लेटर ऑफ क्रेडिट (LC)।
    • टेलीग्राफिक ट्रांसफर (TT)।
  • भुगतान प्राप्ति की पुष्टि करें।

निर्यात के लिए आवश्यक दस्तावेज़ और प्रमाणन

निर्यात करने के लिए सही दस्तावेज़ और प्रमाणन होना बेहद जरूरी है। यह न केवल निर्यात प्रक्रिया को सुचारू बनाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में विश्वसनीयता भी बढ़ाता है।

आवश्यक दस्तावेज़

1. जीएसटी रजिस्ट्रेशन

  • निर्यात करने के लिए जीएसटी (GST) रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।
  • यह कर संबंधी दस्तावेज़ है जो व्यापार की वैधता साबित करता है।

2. आयात-निर्यात कोड (IEC)

  • IEC (Import Export Code) निर्यातक के लिए जरूरी है।
  • इसे डीजीएफटी (DGFT) की वेबसाइट से ऑनलाइन प्राप्त किया जा सकता है।

3. उत्पाद प्रमाणपत्र

  • एपीडा (APEDA) पंजीकरण: कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए जरूरी।
  • एफएसएसएआई (FSSAI) लाइसेंस: खाद्य उत्पादों के लिए अनिवार्य।

4. फाइटोसैनेटरी प्रमाणपत्र

  • यह प्रमाणपत्र पौधों और पौधों से जुड़े उत्पादों के लिए जरूरी है।
  • यह सुनिश्चित करता है कि उत्पाद रोग-मुक्त हैं।

5. बिल ऑफ लैडिंग (बीएल)

  • यह दस्तावेज़ शिपमेंट की जानकारी देता है।
  • इसमें उत्पाद, मात्रा, और गंतव्य की जानकारी होती है।

6. वाणिज्यिक इनवॉइस

  • यह खरीदार को भेजा जाता है और इसमें उत्पाद, मात्रा, और मूल्य की जानकारी होती है।

7. पैकिंग लिस्ट

  • इसमें पैकेज की जानकारी होती है, जैसे वजन, मात्रा, और पैकेजिंग का प्रकार।

8. प्रमाणपत्र मूल (सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन)

  • यह दस्तावेज़ उत्पाद के मूल देश की जानकारी देता है।
  • यह अक्सर टैरिफ छूट के लिए जरूरी होता है।

प्रमाणन प्रक्रिया

1. एपीडा (APEDA) पंजीकरण

  • एपीडा (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देता है।
  • पंजीकरण के लिए एपीडा की वेबसाइट पर आवेदन करें।

2. एफएसएसएआई (FSSAI) लाइसेंस

  • खाद्य उत्पादों के निर्यात के लिए एफएसएसएआई लाइसेंस जरूरी है।
  • यह सुनिश्चित करता है कि उत्पाद खाने योग्य और सुरक्षित हैं।

3. ऑर्गेनिक प्रमाणन

  • NPOP (National Programme for Organic Production): भारत में ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए।
  • USDA (United States Department of Agriculture): अमेरिका में ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए।

4. गुणवत्ता प्रमाणन

  • ISO (International Organization for Standardization): उत्पाद की गुणवत्ता और सुरक्षा के लिए।
  • HACCP (Hazard Analysis and Critical Control Points): खाद्य सुरक्षा के लिए।

निर्यात के लिए कानूनी आवश्यकताएं

निर्यात करने के लिए कानूनी आवश्यकताओं का पालन करना बेहद जरूरी है। यह न केवल निर्यात प्रक्रिया को सुचारू बनाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में विश्वसनीयता भी बढ़ाता है। 

कृषि उत्पादों के लिए कानूनी नियम

कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए कई कानूनी नियम हैं। इनमें एपीडा (APEDA) पंजीकरण, फाइटोसैनेटरी प्रमाणपत्र, और एफएसएसएआई (FSSAI) लाइसेंस शामिल हैं। एपीडा कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देता है और इसके लिए पंजीकरण अनिवार्य है। फाइटोसैनेटरी प्रमाणपत्र यह सुनिश्चित करता है कि उत्पाद रोग-मुक्त हैं। एफएसएसएआई लाइसेंस खाद्य सुरक्षा के लिए जरूरी है। अधिक जानकारी के लिए एपीडा की वेबसाइट और एफएसएसएआई की वेबसाइट पर जाएं।

प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के लिए नियम

प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात के लिए एफएसएसएआई (FSSAI) लाइसेंस और गुणवत्ता प्रमाणन जरूरी है। एफएसएसएआई लाइसेंस यह सुनिश्चित करता है कि उत्पाद खाने योग्य और सुरक्षित हैं। इसके अलावा, HACCP (Hazard Analysis and Critical Control Points) और ISO (International Organization for Standardization) जैसे प्रमाणन भी जरूरी हैं। ये प्रमाणन उत्पाद की गुणवत्ता और सुरक्षा को साबित करते हैं। अधिक जानकारी के लिए एफएसएसएआई की वेबसाइट और ISO की वेबसाइट पर जाएं।

अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन

अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करना जरूरी है। इनमें ISO, HACCP, और USDA (United States Department of Agriculture) जैसे प्रमाणन शामिल हैं। ये मानक उत्पाद की गुणवत्ता, सुरक्षा, और पर्यावरणीय प्रभाव को सुनिश्चित करते हैं। उदाहरण के लिए, USDA प्रमाणन अमेरिका में ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए जरूरी है। अधिक जानकारी के लिए USDA की वेबसाइट पर जाएं।

निर्यात नीतियां और प्रोत्साहन

भारत सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाती है। इनमें मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (MEIS), एक्सपोर्ट प्रोमोशन कैपिटल गुड्स स्कीम (EPCGS), और निर्यातकों के लिए वित्तीय सहायता शामिल है। ये योजनाएं निर्यातकों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करती हैं। अधिक जानकारी के लिए डीजीएफटी की वेबसाइट और वाणिज्य मंत्रालय की वेबसाइट पर जाएं।

FPO खरीदारों (बायर) से कैसे जुड़ें?

निर्यात में सफलता पाने के लिए सही खरीदार (बायर) से जुड़ना बेहद जरूरी है। यह न केवल निर्यात प्रक्रिया को आसान बनाता है, बल्कि लंबे समय तक व्यापार संबंध बनाने में भी मदद करता है। खरीदारों से जुड़ना निर्यात प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, व्यापार मेलों, सोशल मीडिया, और निर्यात प्रोमोशन काउंसिल की मदद से किसान और एफपीओ अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहुंच बना सकते हैं।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग

1. एपीडा ट्रेड पोर्टल
एपीडा (APEDA) ट्रेड पोर्टल किसानों और एफपीओ को अंतरराष्ट्रीय खरीदारों से जोड़ने का एक बेहतरीन मंच है। यह पोर्टल निर्यातकों और आयातकों के बीच सीधा संपर्क स्थापित करता है। आप अपने उत्पादों की जानकारी यहां डाल सकते हैं और खरीदारों से संपर्क कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए एपीडा ट्रेड पोर्टल पर जाएं।

2. एलायंस ट्रेड
एलायंस ट्रेड एक ऑनलाइन व्यापार प्लेटफॉर्म है जो निर्यातकों और आयातकों को जोड़ता है। यह प्लेटफॉर्म किसानों और एफपीओ को अपने उत्पादों को वैश्विक बाजार में प्रदर्शित करने का अवसर देता है। अधिक जानकारी के लिए एलायंस ट्रेड पर जाएं।

व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेना

व्यापार मेले और प्रदर्शनियां खरीदारों से सीधा संपर्क स्थापित करने का एक बेहतरीन मौका होते हैं। इन मेलों में भाग लेकर आप अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर सकते हैं और खरीदारों से बातचीत कर सकते हैं। भारत सरकार और विभिन्न संगठन नियमित रूप से ऐसे मेलों का आयोजन करते हैं। अधिक जानकारी के लिए वाणिज्य मंत्रालय की वेबसाइट पर जाएं।

सोशल मीडिया और प्रोफेशनल नेटवर्किंग साइट्स (जैसे लिंक्डइन)

सोशल मीडिया और प्रोफेशनल नेटवर्किंग साइट्स जैसे लिंक्डइन (LinkedIn) खरीदारों से जुड़ने का एक आसान और प्रभावी तरीका है। आप अपने उत्पादों की जानकारी साझा कर सकते हैं और खरीदारों से सीधा संपर्क कर सकते हैं। लिंक्डइन पर व्यापार समूहों में शामिल होकर आप नए अवसर तलाश सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए लिंक्डइन पर जाएं।

निर्यात प्रोमोशन काउंसिल (EPC) से संपर्क

निर्यात प्रोमोशन काउंसिल (EPC) निर्यातकों को खरीदारों से जोड़ने में मदद करते हैं। ये संगठन विभिन्न उद्योगों के लिए विशेष रूप से बनाए गए हैं और निर्यातकों को बाजार शोध, प्रशिक्षण, और संपर्क स्थापित करने में मदद करते हैं। अधिक जानकारी के लिए निर्यात प्रोमोशन काउंसिल पर जाएं।

खरीदारों से संवाद कैसे करें? किसानों और FPO के लिए पूरी गाइड

निर्यात में सफलता पाने के लिए खरीदारों के साथ प्रभावी संवाद बेहद जरूरी है। सही संचार न केवल व्यापार संबंधों को मजबूत बनाता है, बल्कि लंबे समय तक साझेदारी बनाए रखने में भी मदद करता है। 

प्रभावी संचार के टिप्स

  1. स्पष्टता: अपनी बात स्पष्ट और संक्षिप्त रूप में कहें।
  2. सक्रिय सुनना: खरीदार की बात ध्यान से सुनें और उनकी जरूरतों को समझें।
  3. समयबद्धता: समय पर जवाब देना विश्वास बनाता है।
  4. पेशेवरता: व्यापारिक भाषा और शिष्टाचार का उपयोग करें।

ईमेल और प्रस्ताव (क्वोटेशन) लिखने का तरीका

ईमेल का नमूना (Sample Email):

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Date: October 25, 2023

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भुगतान प्रक्रिया: निर्यात में सुरक्षित और प्रभावी भुगतान के तरीके

निर्यात में भुगतान प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो न केवल लेनदेन को सुरक्षित बनाता है, बल्कि निर्यातक और आयातक के बीच विश्वास भी बढ़ाता है। सही भुगतान तरीके चुनने से जोखिम कम होता है और व्यापार संबंध मजबूत बनते हैं। निर्यात में सही भुगतान तरीका चुनना व्यापार की सफलता के लिए बेहद जरूरी है। लेटर ऑफ क्रेडिट (LC), टेलीग्राफिक ट्रांसफर (TT), और डॉक्यूमेंट्री कलेक्शन जैसे तरीके निर्यातकों को सुरक्षा और विश्वास प्रदान करते हैं। मुद्रा विनिमय और जोखिम प्रबंधन के साथ-साथ बैंकों की भूमिका भी निर्यात प्रक्रिया को सुचारू बनाती है।

निर्यात भुगतान के तरीके

1. लेटर ऑफ क्रेडिट (LC)
लेटर ऑफ क्रेडिट (LC) निर्यात में सबसे सुरक्षित भुगतान तरीका है। इसमें खरीदार का बैंक निर्यातक को भुगतान की गारंटी देता है। यह तरीका विशेष रूप से बड़े लेनदेन के लिए उपयोगी है, क्योंकि यह दोनों पक्षों को सुरक्षा प्रदान करता है। LC के तहत, भुगतान तभी किया जाता है जब सभी दस्तावेज़ और शर्तें पूरी हो जाती हैं।

2. टेलीग्राफिक ट्रांसफर (TT)
टेलीग्राफिक ट्रांसफर (TT) एक तेज़ और सुरक्षित भुगतान तरीका है। इसमें खरीदार सीधे निर्यातक के बैंक खाते में धनराशि ट्रांसफर करता है। यह तरीका छोटे और मध्यम लेनदेन के लिए उपयोगी है। TT का लाभ यह है कि यह तेज़ और कम खर्चीला होता है।

3. डॉक्यूमेंट्री कलेक्शन
डॉक्यूमेंट्री कलेक्शन में, निर्यातक दस्तावेज़ों को अपने बैंक के माध्यम से खरीदार के बैंक को भेजता है। खरीदार को दस्तावेज़ों को स्वीकार करने और भुगतान करने के बाद ही उत्पाद प्राप्त होते हैं। यह तरीका LC की तुलना में कम सुरक्षित है, लेकिन यह छोटे लेनदेन के लिए उपयोगी है।

मुद्रा विनिमय और जोखिम प्रबंधन

निर्यात में मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव एक बड़ा जोखिम हो सकता है। इस जोखिम को कम करने के लिए, निर्यातक फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स और हेजिंग जैसे तरीकों का उपयोग कर सकते हैं। यह तरीके मुद्रा दरों में होने वाले उतार-चढ़ाव से बचाते हैं और भुगतान की सुरक्षा बढ़ाते हैं।

बैंक और वित्तीय संस्थानों की भूमिका

बैंक और वित्तीय संस्थान निर्यात भुगतान प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये संस्थान LC, TT, और डॉक्यूमेंट्री कलेक्शन जैसे भुगतान तरीकों को सुचारू रूप से संचालित करते हैं। इसके अलावा, ये निर्यातकों को वित्तीय सहायता और जोखिम प्रबंधन सेवाएं भी प्रदान करते हैं।

टिकरी, वाराणसी में निर्यात प्रशिक्षण केंद्र: किसानों और FPO के लिए सुनहरा अवसर

निर्यात क्षेत्र में सफलता पाने के लिए सही मार्गदर्शन और प्रशिक्षण बेहद जरूरी है। टिकरी, वाराणसी में स्थित निर्यात प्रशिक्षण केंद्र किसानों और एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) को निर्यात की बारीकियों से अवगत कराने के लिए समर्पित है। यह केंद्र न केवल प्रशिक्षण प्रदान करता है, बल्कि किसानों को वैश्विक बाजार तक पहुंचने में भी मदद करता है।

प्रशिक्षण केंद्र का परिचय

टिकरी, वाराणसी में स्थित यह निर्यात प्रशिक्षण केंद्र किसानों और एफपीओ को निर्यात की पूरी प्रक्रिया से अवगत कराता है। यह केंद्र सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से चलाया जा रहा है। यहां किसानों को निर्यात के लिए आवश्यक दस्तावेज़, प्रमाणन, बाजार शोध, और खरीदारों से जुड़ने के तरीके सिखाए जाते हैं।

प्रशिक्षण कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी

#किसान और FPO प्रशिक्षण कैलेंडर 2025

प्रशिक्षण कार्यक्रम में निम्नलिखित विषयों को शामिल किया गया है:

  1. निर्यात की मूल बातें: निर्यात क्या है और यह क्यों जरूरी है?
  2. दस्तावेज़ीकरण और प्रमाणन: आयात-निर्यात कोड (IEC), एपीडा पंजीकरण, और फाइटोसैनेटरी प्रमाणपत्र।
  3. बाजार शोध: अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग और प्रतिस्पर्धा का अध्ययन।
  4. खरीदारों से जुड़ना: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और व्यापार मेलों का उपयोग।
  5. भुगतान प्रक्रिया: लेटर ऑफ क्रेडिट (LC) और टेलीग्राफिक ट्रांसफर (TT) जैसे तरीके।

प्रशिक्षण के लाभ और सफलता दर

  1. आय में वृद्धि: निर्यात से किसानों को उचित मूल्य मिलता है।
  2. बाजार का विस्तार: अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच बनती है।
  3. गुणवत्ता में सुधार: निर्यात के लिए उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ानी पड़ती है।
  4. सफलता दर: इस प्रशिक्षण केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले 70% से अधिक किसानों ने निर्यात शुरू किया है और अपनी आय में वृद्धि की है।

चुनौतियां और अपेक्षाएं

  • “उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा आम उत्पादक राज्य है, जो सालाना 4.5 मिलियन टन आम पैदा करता है। विश्व बैंक के अनुसार, निर्यात-केंद्रित प्रसंस्करण से लागत में 10-15% की बचत हो सकती है, जिससे किसानों को प्रति किलोग्राम 200-300 रुपये तक मिल सकते हैं।”
  • नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, FPO किसानों की बाजार पहुंच को 30% तक बढ़ाते हैं और आय में 20-25% की वृद्धि करते हैं। IARI का शोध दिखाता है कि उन्नत प्रसंस्करण से उत्पादकता 15-20% बढ़ सकती है, जो वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए जरूरी है।”
  • “लखनऊ के एक FPO ने निर्यात प्रशिक्षण के बाद अपनी लीची को यूरोप भेजना शुरू किया। 2024 में, उन्होंने 10 टन लीची का निर्यात किया, जिससे प्रति किलोग्राम 250 रुपये की कमाई हुई—स्थानीय बाजार से दोगुना।”
  • ये शोध बताते हैं कि उत्तर प्रदेश किसान का यह प्रयास वैश्विक मांग पूरी कर सकता है। यह भारत को कृषि निर्यात में आगे ले जा सकता है। इसके लिए प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता अच्छे से लागू होनी चाहिए।
फसल मूल्य तुलना

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs): निर्यात से जुड़े सवालों के जवाब

निर्यात शुरू करने से पहले किसानों और एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) के मन में कई सवाल होते हैं। यहां हम निर्यात से जुड़े कुछ सामान्य प्रश्नों के जवाब दे रहे हैं, ताकि आप निर्यात की दुनिया में आसानी से कदम रख सकें। निर्यात शुरू करने से पहले इन FAQs को समझना बेहद जरूरी है। सही जानकारी और मार्गदर्शन से किसान और एफपीओ निर्यात में सफलता प्राप्त कर सकते हैं

1. निर्यात शुरू करने के लिए न्यूनतम निवेश कितना है?

निर्यात शुरू करने के लिए न्यूनतम निवेश उत्पाद, बाजार, और पैमाने पर निर्भर करता है। छोटे स्तर पर निर्यात शुरू करने के लिए लगभग 1-2 लाख रुपये की आवश्यकता हो सकती है। इसमें उत्पादन, पैकेजिंग, दस्तावेज़ीकरण, और शिपमेंट की लागत शामिल है। सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ उठाकर निवेश को कम किया जा सकता है।

2. छोटे किसान निर्यात कैसे शुरू कर सकते हैं?

छोटे किसान निम्नलिखित तरीकों से निर्यात शुरू कर सकते हैं:

  • एफपीओ (FPO) के माध्यम से: एफपीओ में शामिल होकर सामूहिक रूप से निर्यात करें।
  • सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं: एपीडा और डीजीएफटी जैसे संगठनों से प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्राप्त करें।
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग: एपीडा ट्रेड पोर्टल और इंडिया मार्ट जैसे प्लेटफॉर्म पर अपने उत्पादों को प्रदर्शित करें।
  • स्थानीय निर्यातकों के साथ जुड़ें: अनुभवी निर्यातकों के साथ साझेदारी करके शुरुआत करें।

3. निर्यात में सबसे बड़ी चुनौतियां क्या हैं?

निर्यात में किसानों और एफपीओ को निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है:

  • दस्तावेज़ीकरण और प्रमाणन: निर्यात के लिए आवश्यक दस्तावेज़ और प्रमाणपत्र प्राप्त करना।
  • गुणवत्ता प्रबंधन: अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखना।
  • खरीदारों से जुड़ना: विश्वसनीय खरीदारों तक पहुंच बनाना।
  • मुद्रा विनिमय जोखिम: विदेशी मुद्रा दरों में उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान से बचना।
  • लॉजिस्टिक्स और शिपमेंट: उत्पादों को सुरक्षित और समय पर पहुंचाना।

4. निर्यात के लिए सरकारी सब्सिडी और प्रोत्साहन क्या हैं?

भारत सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाती है। इनमें शामिल हैं:

  • मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (MEIS): निर्यातकों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है।
  • एक्सपोर्ट प्रोमोशन कैपिटल गुड्स स्कीम (EPCGS): निर्यातकों को पूंजीगत सामान आयात करने में मदद करती है।
  • एपीडा सब्सिडी: कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए वित्तीय सहायता।
  • निर्यात क्रेडिट गारंटी निगम (ECGC): निर्यातकों को भुगतान जोखिम से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • कृषि निर्यात नीति (AEP): किसानों और एफपीओ को निर्यात में सहायता प्रदान करती है।

अधिक जानकारी के लिए वाणिज्य मंत्रालय की वेबसाइट और एपीडा की वेबसाइट पर जाएं।

5. निर्यात के लिए कौन-से उत्पाद सबसे अच्छे हैं?

भारत से निर्यात होने वाले कुछ लोकप्रिय उत्पाद हैं:

  • कृषि उत्पाद: बासमती चावल, मसाले, चाय, कॉफी, और सूखे मेवे।
  • प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद: फलों के रस, अचार, और जैम।
  • ऑर्गेनिक उत्पाद: ऑर्गेनिक फल, सब्जियां, और अनाज।
  • हॉर्टिकल्चर उत्पाद: आम, केला, और अमरूद।

6. निर्यात के लिए कौन-से दस्तावेज़ जरूरी हैं?

निर्यात के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ जरूरी हैं:

  • आयात-निर्यात कोड (IEC)।
  • एपीडा पंजीकरण।
  • एफएसएसएआई लाइसेंस (खाद्य उत्पादों के लिए)।
  • फाइटोसैनेटरी प्रमाणपत्र।
  • वाणिज्यिक इनवॉइस और पैकिंग लिस्ट।

7. निर्यात में भुगतान कैसे प्राप्त करें?

निर्यात में भुगतान के लिए निम्नलिखित तरीके उपयोगी हैं:

  • लेटर ऑफ क्रेडिट (LC): सबसे सुरक्षित तरीका, जिसमें बैंक भुगतान की गारंटी देता है।
  • टेलीग्राफिक ट्रांसफर (TT): तेज़ और सुरक्षित भुगतान तरीका।
  • डॉक्यूमेंट्री कलेक्शन: दस्तावेज़ों के आधार पर भुगतान।

उपयोगी वेबसाइट और संसाधन: किसानों और एफपीओ (FPO) के लिए महत्वपूर्ण लिंक

निर्यात और कृषि से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी वेबसाइट्स एक बेहतरीन स्रोत हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण वेबसाइट्स और संसाधन दिए गए हैं, जो किसानों और एफपीओ को निर्यात प्रक्रिया, प्रशिक्षण, और सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।

1. एपीडा (APEDA)

  • वेबसाइट: https://apeda.gov.in
  • उपयोगिता: एपीडा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देता है। यहां निर्यातकों को पंजीकरण, बाजार शोध, और प्रशिक्षण से संबंधित जानकारी मिलती है।

2. एफएसएसएआई (FSSAI)

  • वेबसाइट: https://fssai.gov.in
  • उपयोगिता: एफएसएसएआई खाद्य सुरक्षा और मानकों से संबंधित जानकारी प्रदान करता है। निर्यातकों को खाद्य उत्पादों के लिए FSSAI लाइसेंस की आवश्यकता होती है।

3. डीजीएफटी (DGFT)

  • वेबसाइट: https://dgft.gov.in
  • उपयोगिता: डीजीएफटी भारत में आयात-निर्यात नीतियों और प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है। यहां आयात-निर्यात कोड (IEC) और निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं की जानकारी मिलती है।

4. निर्यात प्रोत्साहन योजनाएं

  • वेबसाइट: https://commerce.gov.in
  • उपयोगिता: वाणिज्य मंत्रालय की वेबसाइट पर निर्यात को बढ़ावा देने वाली योजनाओं की जानकारी उपलब्ध है। इनमें मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (MEIS) और एक्सपोर्ट प्रोमोशन कैपिटल गुड्स स्कीम (EPCGS) शामिल हैं।

5. उत्तर प्रदेश कृषि विभाग

  • वेबसाइट: http://upagriculture.com
  • उपयोगिता: उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की वेबसाइट पर किसानों के लिए योजनाएं, प्रशिक्षण, और नवीनतम अपडेट उपलब्ध हैं।

6. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)

  • वेबसाइट: https://www.rbi.org.in
  • उपयोगिता: RBI की वेबसाइट पर निर्यात भुगतान, मुद्रा विनिमय, और वित्तीय नियमों से संबंधित जानकारी मिलती है।

7. निर्यात प्रोमोशन काउंसिल (EPC)

  • वेबसाइट: https://www.epcindia.org
  • उपयोगिता: EPC विभिन्न उद्योगों के लिए निर्यात को बढ़ावा देने वाले संगठन हैं। यहां निर्यातकों को बाजार शोध, प्रशिक्षण, और संपर्क स्थापित करने में मदद मिलती है।

8. कृषि मंत्रालय, भारत सरकार

  • वेबसाइट: https://agriculture.gov.in
  • उपयोगिता: कृषि मंत्रालय की वेबसाइट पर किसानों के लिए योजनाएं, नीतियां, और नवीनतम अपडेट उपलब्ध हैं।

9. नाबार्ड (NABARD)

  • वेबसाइट: https://www.nabard.org
  • उपयोगिता: नाबार्ड किसानों और एफपीओ को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करता है। यहां कृषि और ग्रामीण विकास से संबंधित जानकारी मिलती है।

10. ट्रेड इंडिया (Trade India)

  • वेबसाइट: https://www.tradeindia.com
  • उपयोगिता: यह एक ऑनलाइन व्यापार प्लेटफॉर्म है, जहां निर्यातक अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर सकते हैं और खरीदारों से जुड़ सकते हैं।

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