FPO

किसान उत्पादक संगठन (FPO)

किसान उत्पादक संगठन (FPO) किसानों का एक समूह होता है, जो संगठित रूप से कृषि गतिविधियों को संचालित करता है। इसका मुख्य उद्देश्य छोटे और मध्यम किसानों को एकजुट कर, कृषि उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन और अन्य सहायक सेवाओं में सुधार करना होता है। यह संगठन किसानों को सशक्त बनाता है और उन्हें बाजार में बेहतर दाम दिलाने के लिए सामूहिक रूप से काम करने का अवसर प्रदान करता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में 10,000 नए कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की महत्वाकांक्षी योजना लॉन्च की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य देश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाना और उनकी आय में वृद्धि करना है। इस योजना के तहत, उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित उनके संसदीय क्षेत्र में देश का पहला एफपीओ सहकारिता समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया है। यह एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि एफपीओ सामान्यतः कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत होते हैं, लेकिन यह पहली बार है कि सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत एफपीओ बनाया गया है।

कृषक उत्पादक संगठन एवं उद्यानिक विपणन सहकारी समिति टिकरी वाराणसी

कृषक उत्पादक संगठन एवं उद्यानिक विपणन सहकारी समिति इस दिशा में एक अग्रणी उदाहरण है। 26 फरवरी 2021 को एनसीडीसी (राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम) द्वारा पंजीकृत यह एफपीओ, वाराणसी के टिकरी गाँव में स्थित है और अपने शुरुआती दिनों में मशरूम और हरी मिर्च के प्रसंस्करण पर केंद्रित था। इस संगठन ने अपने सदस्यों के लिए उन्नत प्रसंस्करण सुविधाएं और तकनीकी प्रशिक्षण का मार्ग प्रशस्त किया है, जिससे छोटे किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

एफपीओ के प्रयास और उपलब्धियां:

  1. मशरूम और हरी मिर्च प्रसंस्करण:
    एफपीओ ने मशरूम और हरी मिर्च जैसे लाभकारी कृषि उत्पादों की खेती और प्रसंस्करण को प्राथमिकता दी। मशरूम की बढ़ती मांग और कम समय में अधिक मुनाफा देने की क्षमता ने इसे किसानों के लिए अत्यधिक फायदेमंद साबित किया। हरी मिर्च की आधुनिक प्रसंस्करण इकाइयों ने किसानों को उनके उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य दिलाने में मदद की।
  2. उन्नत प्रसंस्करण तकनीक:
    एफपीओ ने आधुनिक तकनीकों जैसे वैक्यूम नाइट्रोजन ड्रायिंग सिस्टम को अपनाया, जो हरी मिर्च को सुखाकर उसकी गुणवत्ता बनाए रखने में सहायक है। इन तकनीकों से किसानों को उनके उत्पादों की बर्बादी से बचने और बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिली है।
  3. संगठित सहकारी ढांचा:
    एफपीओ का सहकारी ढांचा किसानों को सामूहिक रूप से काम करने और अपने उत्पादों की मार्केटिंग करने में मदद करता है। इससे वे बड़े बाजारों में प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अपने उत्पाद बेच सकते हैं और अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। सामूहिक प्रयास न केवल किसानों को संगठित करता है, बल्कि उनके आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण में भी योगदान देता है।
  4. एनसीडीसी का सतत समर्थन:
    एनसीडीसी ने एफपीओ को तकनीकी और वित्तीय समर्थन प्रदान किया है, जिससे यह अपने लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा कर रहा है। मशरूम उत्पादन, प्रसंस्करण सुविधाओं और किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए एनसीडीसी ने आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए हैं। आगामी पाँच वर्षों तक यह सहयोग जारी रहेगा, जिससे एफपीओ अपने उद्देश्यों को और प्रभावी ढंग से पूरा कर सकेगा।
  5. किसानों की आय में सुधार:
    इस एफपीओ के संगठित प्रयासों से स्थानीय किसानों की आय में काफी वृद्धि देखी गई है। आधुनिक प्रसंस्करण तकनीकों और सीधे बाजारों तक पहुंच ने किसानों को अपने उत्पादों के लिए बेहतर कीमतें दिलाने में मदद की है। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है, बल्कि कृषि को एक स्थायी उद्यम के रूप में स्थापित करने में भी मदद मिली है।

FPO का गठन

किसान उत्पादक संगठन (FPO) का गठन एक सुनियोजित प्रक्रिया है जिसमें किसानों का समूह मिलकर अपनी कृषि गतिविधियों को सामूहिक रूप से प्रबंधित और विपणन करता है। यहाँ FPO के गठन के लिए आवश्यक चरणों का विवरण दिया गया है:

1. प्रारंभिक योजना और अध्ययन

  • समूह का गठन: पहले, स्थानीय किसानों का एक समूह बनाना जो FPO का हिस्सा बनने के इच्छुक हों।
  • समिति की स्थापना: एक प्रारंभिक समिति गठित करना जो FPO की स्थापना और संचालन की योजना बनाएगी।
  • क्षेत्रीय अध्ययन: किसानों की आवश्यकताओं, संभावनाओं, और बाजार की मांगों का अध्ययन करना।

2. पंजीकरण प्रक्रिया

  • कानूनी संरचना: यह तय करना कि FPO किस प्रकार की संस्था के रूप में पंजीकृत होगी (कंपनी, सहकारी संस्था आदि)।
  • पंजीकरण दस्तावेज़: आवश्यक दस्तावेज़ तैयार करना जैसे कि मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन, आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन आदि।
  • पंजीकरण: संबंधित सरकारी विभागों और एजेंसियों के साथ FPO का पंजीकरण कराना।

3. पूंजी और वित्तीय प्रबंधन

  • शेयर पूंजी: सदस्यों से शेयर पूंजी एकत्रित करना जो FPO के प्रारंभिक वित्तीय संसाधनों के रूप में काम करेगी।
  • बैंक खाता: FPO के नाम से बैंक खाता खोलना।
  • वित्तीय योजना: वित्तीय प्रबंधन और बजट की योजना बनाना।

4. प्रबंधन और संचालन

  • प्रबंधन समिति: एक प्रबंधन समिति का चयन करना जो FPO के दैनिक कार्यों का प्रबंधन करेगी।
  • नियम और विनियम: FPO के लिए नियम और विनियम स्थापित करना।
  • संचालन की योजना: FPO के विभिन्न कार्यों और गतिविधियों की योजना बनाना।

5. प्रशिक्षण और विकास

  • प्रशिक्षण कार्यक्रम: सदस्यों के लिए नियमित प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का आयोजन करना।
  • तकनीकी सहायता: कृषि विशेषज्ञों और सलाहकारों से तकनीकी सहायता प्राप्त करना।

6. विपणन और बिक्री

  • बाजार की पहचान: उत्पादों के लिए नए बाजार और विक्रय चैनलों की पहचान करना।
  • विपणन रणनीति: सामूहिक विपणन और बिक्री की रणनीति तैयार करना।
  • ब्रांडिंग और पैकेजिंग: उत्पादों की ब्रांडिंग और पैकेजिंग की योजना बनाना।

7. निगरानी और मूल्यांकन

  • प्रदर्शन मूल्यांकन: FPO के प्रदर्शन की नियमित निगरानी और मूल्यांकन करना।
  • समस्याओं का समाधान: सदस्यों की समस्याओं का समाधान और सुधार की योजना बनाना।
  • नवाचार: नई तकनीकों और प्रथाओं को अपनाना और लागू करना।

8. सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ

  • सरकारी योजनाएं: केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और सब्सिडी का लाभ उठाना।
  • वित्तीय सहायता: सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों से वित्तीय सहायता प्राप्त करना।

संपर्क करें

यदि आप FPO का गठन करना चाहते हैं या इस प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कृपया हमसे संपर्क करें। www.upkisan.org आपके साथ मिलकर इस प्रक्रिया को सरल और सफल बनाने के लिए तत्पर है।

Email: info@upkisan.org

# Policy & Process Guidelines For FPO

# एफपीओ (FPO) के लिए आवश्यक रजिस्टर