भारत का कृषि बजट 2025: किसानों के लिए नए अवसर
“उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी, भीख निदान”
– यह कहावत भारतीय संस्कृति में कृषि के महत्व को दर्शाती है। इसका अर्थ है कि खेती सबसे अच्छा व्यवसाय है, व्यापार मध्यम है, नौकरी निम्न स्तर की है, और भीख मांगना सबसे खराब विकल्प है। यह कहावत आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि भारत की 50% से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है। किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार ने कृषि बजट 2025 में कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की हैं।
एक छोटे से गाँव में रहने वाले किसान रामलाल की कहानी इस कहावत की सच्चाई को बखूबी बयान करती है। उनके दादा कहा करते थे, “धरती माँ कभी किसी को भूखा नहीं रखती, जो उसके साथ प्रेम से मेहनत करता है, उसे भरपूर देती है।” लेकिन समय बदला, और गाँव के कई युवा नौकरी की तलाश में शहर चले गए। रामलाल ने अपने खेतों से ही अपनी तकदीर बदलने की ठानी। उन्होंने नई तकनीकों को अपनाया, जैविक खेती शुरू की और अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेचना शुरू किया। जल्द ही, उनकी मेहनत रंग लाई, और उनका कृषि व्यवसाय पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया।

कृषि बजट 2025 के मुख्य बिंदु
1. किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य
“जय जवान, जय किसान” के नारे के साथ भारत सरकार ने 2025 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN), राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM), और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) प्रमुख हैं।
📊 2025 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार की रणनीति
| योजना का नाम | मुख्य उद्देश्य | अब तक का प्रभाव | 2025 के लिए आवंटित बजट (₹ करोड़) | आधिकारिक पोर्टल लिंक |
|---|---|---|---|---|
| प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) | छोटे और सीमांत किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता | ₹2.42 लाख करोड़ ट्रांसफर, 11 करोड़+ किसान लाभान्वित | ₹75,000 करोड़ | PM-KISAN पोर्टल |
| राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) | किसानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से बेहतर मूल्य दिलाना | 1,300+ मंडियाँ डिजिटल, ₹2 लाख करोड़ से अधिक का व्यापार | ₹3,000 करोड़ | e-NAM पोर्टल |
| प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) | किसानों को फसल क्षति से बचाने के लिए बीमा कवरेज | ₹1.22 लाख करोड़ का बीमा दावा भुगतान, 10 करोड़+ किसान लाभान्वित | ₹13,625 करोड़ | PMFBY पोर्टल |
| मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना | मृदा परीक्षण से उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देना | 23 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित | ₹1,500 करोड़ | मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल |
| प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) | किसानों को जल प्रबंधन और सिंचाई सुविधाओं में सुधार | 40 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के दायरे में लाया गया | ₹11,655 करोड़ | PMKSY पोर्टल |
| PM Kusum योजना | सौर ऊर्जा से किसानों की आय बढ़ाना और ऊर्जा आत्मनिर्भरता | 30 लाख सौर पंप इंस्टॉल, किसानों की आय में वृद्धि | ₹10,000 करोड़ | PM Kusum योजना |
| डेयरी और पशुपालन योजना | पशुपालन और डेयरी किसानों के लिए समर्थन | दुग्ध उत्पादन में 6% वार्षिक वृद्धि | ₹4,000 करोड़ | पशुपालन पोर्टल |
| कृषि यंत्रीकरण योजना | आधुनिक कृषि उपकरणों की खरीद पर सब्सिडी | 15 लाख से अधिक किसानों को उन्नत कृषि यंत्र मिले | ₹2,500 करोड़ | कृषि यंत्रीकरण पोर्टल |
सरकार द्वारा घोषित योजनाओं के लिए ₹1.25 लाख करोड़ से अधिक का बजट आवंटित किया गया है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा सके। अगर ये योजनाएँ प्रभावी रूप से लागू होती हैं, तो 2025 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य निश्चित रूप से पूरा किया जा सकता है।
2. कृषि ऋण और बीमा योजनाएं (कृषि बजट 2025)
किसानों को सस्ते दरों पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना (PMFBY) को और बेहतर बनाया जाएगा।
- किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना।
- नाबार्ड रीफाइनेंस स्कीम: ग्रामीण क्षेत्र में कृषि ऋण सहायता।
🚜 कृषि ऋण और बीमा योजनाएँ
| योजना का नाम | मुख्य उद्देश्य | अब तक का प्रभाव | 2025 के लिए आवंटित बजट (₹ करोड़) | लाभार्थियों की संख्या (अब तक) | आधिकारिक पोर्टल लिंक |
|---|---|---|---|---|---|
| किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) | किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना | ₹18 लाख करोड़ से अधिक ऋण वितरित | ₹3,50,000 करोड़ | 7 करोड़+ किसान | KCC पोर्टल |
| नाबार्ड रीफाइनेंस स्कीम | ग्रामीण क्षेत्र में कृषि ऋण सहायता | ₹2 लाख करोड़ से अधिक ऋण वितरित | ₹40,000 करोड़ | 5 करोड़+ किसान | NABARD पोर्टल |
| प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना | प्राकृतिक आपदा से फसल नुकसान पर बीमा कवरेज | ₹1.5 लाख करोड़ से अधिक का बीमा | ₹15,000 करोड़ | 8 करोड़+ किसान | PMFBY पोर्टल |
| राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) | कृषि से जुड़ी स्टार्टअप्स और नवाचारों को बढ़ावा | 5000+ स्टार्टअप्स को फंडिंग | ₹12,500 करोड़ | 10 लाख+ किसान | RKVY पोर्टल |
कृषि बजट 2025 का प्रभाव
भारत का कृषि बजट किसानों की आय दोगुनी करने और कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस बजट में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) जैसी योजनाओं को मजबूत करके किसानों को सालाना 6,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे 11 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित होंगे। साथ ही, किसानों को सस्ते दरों पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से किसानों को बचाया जाएगा। आधुनिक तकनीकों जैसे ड्रोन, AI और सेंसर का उपयोग करके किसानों को उन्नत खेती के तरीके सिखाए जाएंगे, और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जैविक उर्वरकों और कीटनाशकों पर सब्सिडी दी जाएगी। किसान रेल और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं के विस्तार से किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा, जबकि मत्स्य पालन और पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए 1,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। यह बजट किसानों की आय बढ़ाने, कृषि को आधुनिक बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक सशक्त प्रयास है। बजट 2025 किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है। अगर इन योजनाओं को सही तरीके से लागू किया जाए, तो भारत का कृषि क्षेत्र नई ऊंचाइयों को छू सकता है।
चुनौतियां और अपेक्षाएं- कृषि बजट 2025
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की एक रिपोर्ट के अनुसार, मिट्टी के क्षरण और पानी की कमी जैसे मुद्दों को हल किए बिना किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य अधूरा रह सकता है। बजट में इन समस्याओं से निपटने के लिए अल्पकालिक राहत और दीर्घकालिक स्थिरता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। उदाहरण के लिए, सौर पंप जैसे नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों के लिए 15,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिससे सिंचाई लागत में 20-25% की कमी आने की उम्मीद है।
हाल के शोध के अनुसार, भारत में उर्वरकों की कीमतें पिछले पांच वर्षों में 30-40% तक बढ़ी हैं, जिसका सबसे अधिक असर छोटे और सीमांत किसानों पर पड़ा है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी रिसर्च (NIAP) की एक रिपोर्ट बताती है कि उर्वरक सब्सिडी का 60% से अधिक बड़े किसानों तक पहुंचता है, जबकि 85% छोटे किसानों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के एक अध्ययन के मुताबिक, देश के 60% से अधिक कृषि क्षेत्र बारिश पर निर्भर है, जिससे पानी की कमी एक बड़ी चुनौती बन गई है। बजट 2025 में डिजिटल खेती को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन तकनीक और स्मार्ट सिंचाई प्रणालियों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं, ताकि किसान कम संसाधनों में अधिक उत्पादन कर सकें।
नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, MSP का लाभ केवल 6% किसानों तक पहुंचता है, क्योंकि ज्यादातर छोटे किसान अपनी फसल खुले बाजार में बेचते हैं। इस कमी को दूर करने के लिए बजट में 100 नए ई-नाम (e-NAM) केंद्र स्थापित करने की योजना है, जिससे किसानों को बेहतर बाजार पहुंच मिल सके।
डिजिटल खेती और आय दोगुनी करने की रणनीति
बजट 2025 में डिजिटल खेती को एक प्रमुख फोकस क्षेत्र बनाया गया है। सरकार ने “कृषि 4.0” की अवधारणा को अपनाने पर जोर दिया है, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ड्रोन, और सेंसर-आधारित तकनीकों का उपयोग शामिल है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल तकनीकों से उत्पादकता में 15-20% की वृद्धि हो सकती है। बजट में डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए किसानों को मौसम की जानकारी, मिट्टी की जांच, और बाजार मूल्यों तक आसान पहुंच प्रदान करने के लिए 1,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। पीएम किसान योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ, डिजिटल पेमेंट सिस्टम को मजबूत किया गया है, जिससे 2025 तक 10 करोड़ से अधिक किसानों को सीधे लाभ मिलने की उम्मीद है।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल खेती का लाभ तभी संभव है जब ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित हो। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के डेटा के अनुसार, ग्रामीण भारत में अभी भी केवल 50% क्षेत्रों में ही विश्वसनीय इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है। इस चुनौती से निपटने के लिए बजट में भारत नेट परियोजना के तहत 20,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटित किए गए हैं, ताकि डिजिटल गैप को कम किया जा सके। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि डिजिटल मार्केटप्लेस जैसे ई-नाम से किसानों की आय में 10-15% की वृद्धि हो सकती है, बशर्ते इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
नवीकरणीय ऊर्जा और स्थिरता
सौर पंप और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों के लिए बजट में 15,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। नेशनल रिन्यूएबल एनर्जी लेबोरेटरी (NREL) के एक अध्ययन के अनुसार, सौर ऊर्जा से संचालित सिंचाई पंप डीजल की खपत को 50% तक कम कर सकते हैं और लागत में 20-25% की बचत कर सकते हैं। इसके अलावा, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 5,000 नए किसान उत्पादक संगठन (FPO) बनाने की योजना है। नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि FPO छोटे किसानों को बाजार से जोड़ने और उनकी मोलभाव की शक्ति बढ़ाने में 30% तक प्रभावी हो सकते हैं। बजट में जैविक खेती के लिए 1,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी भी शामिल की गई है, जिससे मिट्टी की सेहत में सुधार और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होने की उम्मीद है।
Research Sources Integrated:
- Centre for Science and Environment (CSE): Reports on soil degradation, water scarcity, and climate change impacts on agriculture.
- National Institute of Agricultural Economics and Policy Research (NIAP): Studies on fertilizer subsidy distribution and MSP effectiveness.
- Indian Council of Agricultural Research (ICAR): Data on rain-fed agriculture and climate resilience.
- Indian Agricultural Research Institute (IARI): Research on digital farming and productivity gains.
- Telecom Regulatory Authority of India (TRAI): Statistics on rural internet connectivity.
- World Bank: Insights on digital marketplaces and their impact on farmer incomes.
- National Renewable Energy Laboratory (NREL): Studies on solar irrigation and cost savings.
- NITI Aayog: Reports on FPOs, MSP reach, and organic farming potential.
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📌 अधिक जानें: UPKisan – भारत के किसानों के लिए डिजिटल समाधान - 📌 बाहरी लिंक: APEDA – कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण

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