उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा पल्स इलेक्ट्रिक फील्ड (PEF) टेक्नोलॉजी का उपयोग

उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे बड़ा कृषि प्रधान राज्य, अब नवीनतम तकनीकों के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने और फसलों की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक नया कदम उठा रहा है। पल्स इलेक्ट्रिक फील्ड (PEF) टेक्नोलॉजी, जो कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में एक क्रांतिकारी तकनीक मानी जा रही है, अब उत्तर प्रदेश के किसानों और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के लिए सुलभ हो गई है। इसका श्रेय जाता है सृजनकर्ता प्रौद्योगिकी प्राइवेट लिमिटेड को, एक उभरती हुई एग्रीटेक स्टार्टअप कंपनी, जिसने पहली बार उत्तर प्रदेश में PEF तकनीक का सफल प्रदर्शन किया है। इस तकनीक के सफल प्रदर्शन से उत्तर प्रदेश के किसानों को नई संभावनाएं मिल रही हैं, जिससे वे अपने उत्पादों को अधिक लाभदायक बना सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। PEF टेक्नोलॉजी खाद्य उद्योग में एक महत्वपूर्ण नवाचार है, जो न केवल उत्पाद की गुणवत्ता को बढ़ाती है बल्कि ऊर्जा दक्षता में भी सुधार करती है।

पल्स इलेक्ट्रिक फील्ड (PEF) टेक्नोलॉजी क्या है?
पल्स इलेक्ट्रिक फील्ड (PEF) टेक्नोलॉजी एक ऐसी तकनीक है जो उच्च वोल्टेज के छोटे विद्युत आवेगों (पल्स) का उपयोग करके फसलों और उत्पादों की गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ को बढ़ाती है। यह तकनीक फसलों को सुरक्षित रखने, बीजों के अंकुरण को बेहतर बनाने और उत्पादों की ताजगी को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद करती है। PEF तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह रासायनिक उपचार की आवश्यकता को कम करती है, जिससे यह पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देती है।
PEF तकनीक का उपयोग विभिन्न कृषि उत्पादों जैसे फल, सब्जियां, अनाज और बीजों पर किया जा सकता है। यह तकनीक उत्पादों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना उनकी गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ को बढ़ाती है। इसके अलावा, यह तकनीक उत्पादों के पोषक तत्वों को भी बरकरार रखती है, जिससे उनकी गुणवत्ता और मूल्य में वृद्धि होती है।
PEF तकनीक: वैश्विक परिप्रेक्ष्य और इसके लाभ
- यूरोप और अमेरिका में PEF तकनीक: इस तकनीक का उपयोग खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में व्यापक रूप से किया जा रहा है, जिससे उत्पादों की शेल्फ लाइफ 30-50% तक बढ़ गई है, जिससे किसानों और उद्योगों को अधिक मुनाफा हो रहा है।
- ऊर्जा और जल की बचत: परंपरागत थर्मल प्रोसेसिंग की तुलना में, PEF 80-90% तक ऊर्जा की बचत करता है और 50% तक जल खपत में कमी लाता है।
- कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार: PEF तकनीक के प्रयोग से आलू, टमाटर, सेब, और अन्य फल-सब्जियों की बनावट और पोषक तत्व संरक्षित रहते हैं, जिससे उत्पाद अधिक समय तक ताजा बने रहते हैं।
- बढ़ती वैश्विक मांग: PEF तकनीक द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की वैश्विक बाजार में मांग 2025 तक 1.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए PEF तकनीक के फायदे
- फसलों की शेल्फ लाइफ में वृद्धि: PEF उपचार से फसलों की ताजगी और गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहती है। इससे किसानों को अपने उत्पादों को लंबे समय तक स्टोर करने और बाजार में बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलती है।
- किसानों की आय में वृद्धि: उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ने से किसानों को बाजार में बेहतर मूल्य मिलता है। इसके अलावा, PEF उपचार से उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे उनकी मांग और मूल्य में वृद्धि होती है।
- रासायनिक उपचार की आवश्यकता कम: PEF तकनीक पर्यावरण के अनुकूल है और रासायनिक उपचार की आवश्यकता को कम करती है। इससे किसानों को रासायनिक उपचार पर होने वाले खर्च में कमी आती है और पर्यावरण को भी लाभ होता है।
- फसल उत्पादकता में सुधार: PEF तकनीक से बीजों के अंकुरण और फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है। इससे किसानों को अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद प्राप्त होते हैं।
सृजनकर्ता प्रौद्योगिकी प्राइवेट लिमिटेड: उत्तर प्रदेश में एग्रीटेक इनोवेशन की नई क्रांति
सृजनकर्ता प्रौद्योगिकी प्राइवेट लिमिटेड एक उभरती हुई एग्रीटेक स्टार्टअप कंपनी है, जिसने उत्तर प्रदेश में पल्स इलेक्ट्रिक फील्ड (PEF) तकनीक का पहली बार सफल प्रदर्शन किया है। यह स्टार्टअप 2023 में IITians के एक समूह द्वारा स्थापित किया गया था और इसका मुख्यालय वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है। कंपनी का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक कृषि प्रक्रियाओं में नवीनतम तकनीकों को अपनाकर किसानों की आय बढ़ाना और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करना है। सृजनकर्ता प्रौद्योगिकी विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण, स्मार्ट खेती और कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन पर ध्यान केंद्रित कर रही है। PEF तकनीक के सफल प्रदर्शन के साथ, इस स्टार्टअप ने उत्तर प्रदेश के किसानों और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के लिए एक नई क्रांति की शुरुआत की है। यह तकनीक शेल्फ लाइफ में 30-50% तक वृद्धि करती है, ऊर्जा की 80-90% तक बचत करती है, खाद्य अपशिष्ट को 40% तक कम करती है और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार लाती है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा मिल सकता है। कंपनी फूड प्रोसेसिंग में नवाचार, स्मार्ट फार्मिंग तकनीकों के उपयोग और कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन के लिए IoT, AI और डेटा एनालिटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों को भी अपना रही है। भविष्य में, सृजनकर्ता प्रौद्योगिकी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में PEF आधारित खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित करने, किसानों और FPOs के लिए तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने, भारत सरकार और विभिन्न कृषि अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने और PEF तकनीक के साथ अन्य आधुनिक कृषि तकनीकों को जोड़कर उत्तर प्रदेश को भारत का कृषि नवाचार केंद्र बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। इस स्टार्टअप की पहल से किसानों को अधिक आय प्राप्त होगी, खाद्य अपशिष्ट कम होगा और कृषि उत्पादों की वैश्विक मांग में वृद्धि होगी।
PEF तकनीक से स्ट्रॉबेरी की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में मिली सफलता: स्टार्टअप कंपनी ने किया सफल परीक्षण

वाराणसी स्थित एग्रीटेक स्टार्टअप सृजनकर्ता प्रौद्योगिकी प्राइवेट लिमिटेड ने पल्स इलेक्ट्रिक फील्ड (PEF) तकनीक का उपयोग कर स्ट्रॉबेरी की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। कंपनी द्वारा विकसित PEF सिस्टम प्रोटोटाइप का प्रारंभिक परीक्षण किया गया, जिसमें 2.4 किलोवोल्ट (kV) पल्स वोल्टेज पर स्ट्रॉबेरी को ट्रीट किया गया। परीक्षण के नतीजे उत्साहजनक रहे, जिसमें स्ट्रॉबेरी की गुणवत्ता पहले की तुलना में अधिक समय तक बनी रही। आमतौर पर, बिना ट्रीटमेंट वाली स्ट्रॉबेरी कुछ ही दिनों में खराब होने लगती है, लेकिन PEF तकनीक से ट्रीट की गई स्ट्रॉबेरी 7 दिनों तक बिना महत्वपूर्ण गिरावट के ताजा बनी रही। यह परिणाम दर्शाता है कि PEF तकनीक फलों की शेल्फ लाइफ को बढ़ाने और पोस्ट-हार्वेस्ट नुकसान को कम करने में प्रभावी साबित हो सकती है।

भविष्य की संभावनाएँ
कंपनी के संस्थापकों का कहना है कि पल्स्ड इलेक्ट्रिक फील्ड (PEF) तकनीक का उपयोग केवल स्ट्रॉबेरी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अन्य फलों, सब्जियों और डेयरी उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में भी प्रभावी हो सकता है। यह तकनीक बिजली के छोटे-छोटे दालों का उपयोग करके कोशिका झिल्लियों को प्रभावित करती है, जिससे उत्पादों का रस निकालना आसान होता है, पोषक तत्व संरक्षित रहते हैं, और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, स्ट्रॉबेरी जैसे नाजुक फलों में PEF न केवल स्वाद और गुणवत्ता बनाए रखता है, बल्कि उनकी शेल्फ लाइफ को 20-30% तक बढ़ा सकता है। इसके अलावा, आलू, टमाटर, और संतरे जैसे उत्पादों में इसका उपयोग रस उत्पादन को बढ़ाने और प्रसंस्करण के दौरान ऊर्जा खपत को कम करने में मदद करता है। डेयरी उद्योग में, PEF दूध और पनीर जैसे उत्पादों को बिना गर्म किए कीटाणुरहित कर सकता है, जिससे पोषण मूल्य बरकरार रहता है। संस्थापकों का मानना है कि भविष्य में यह तकनीक भारतीय किसानों और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख कृषि उत्पाद और PEF तकनीक
उत्तर प्रदेश में आलू, टमाटर, आम, गन्ना और डेयरी उत्पाद बड़ी मात्रा में उत्पादित किए जाते हैं। PEF तकनीक के उपयोग से इन उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है, शेल्फ लाइफ लंबी हो सकती है, और किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है।
1. आलू और टमाटर: फूड प्रोसेसिंग में लाभ
उत्तर प्रदेश भारत में सबसे अधिक आलू उत्पादक राज्य है और टमाटर की खेती भी व्यापक रूप से की जाती है।
✅ PEF तकनीक के लाभ:
- आलू और टमाटर से बनने वाले उत्पादों (चिप्स, फ्रेंच फ्राइज, केचप, प्यूरी) की शेल्फ लाइफ 30-50% तक बढ़ सकती है।
- फूड प्रोसेसिंग के दौरान पोषक तत्वों की हानि 40% तक कम होती है।
- आलू और टमाटर की काटने और छीलने की प्रक्रिया आसान हो जाती है, जिससे उत्पादन लागत में कमी आती है।
- ऊर्जा की खपत 80-90% तक कम होती है, जिससे प्रोसेसिंग उद्योग को सीधा लाभ मिलता है।
2. आम और गन्ना: बेहतर गुणवत्ता और निर्यात संभावनाएँ
उत्तर प्रदेश में आम और गन्ना उत्पादन में देश में अग्रणी स्थान रखता है। आम के उत्पादन में यह भारत का सबसे बड़ा राज्य है, और गन्ना उत्पादन में भी यह शीर्ष पर है।
✅ PEF तकनीक के लाभ:
- आम के गूदा (Pulpy) उत्पादों में स्वाद और रंग को बनाए रखता है, जिससे आम के रस, स्क्वैश और पल्प की गुणवत्ता में 30% तक सुधार होता है।
- गन्ने के रस और शर्करा से बनने वाले उत्पादों में बैक्टीरिया और खमीर को नियंत्रित करता है, जिससे उत्पाद की शेल्फ लाइफ बढ़ती है।
- निर्यात बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ती है, क्योंकि PEF तकनीक से संसाधित उत्पादों की मांग यूरोप और अमेरिका में अधिक है।
- गन्ने के रस का अधिक समय तक ताजा रहना, जिससे इसका जूस उद्योग में अधिक उपयोग संभव होता है।
3. दुग्ध एवं डेयरी उत्पाद: सुरक्षित और लंबे समय तक टिकाऊ प्रसंस्करण
उत्तर प्रदेश में डेयरी उद्योग बहुत बड़ा है और यह भारत में सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले राज्यों में शामिल है।
✅ PEF तकनीक के लाभ:
- दूध और दुग्ध उत्पादों (पनीर, दही, लस्सी, घी) की शेल्फ लाइफ 50% तक बढ़ सकती है।
- PEF तकनीक दूध को पाश्चराइज करने का एक उन्नत तरीका है, जिससे दूध में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया खत्म होते हैं, लेकिन इसके पोषक तत्व नष्ट नहीं होते।
- तरल डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता और स्वाद को बनाए रखने में मदद करता है।
- ऊर्जा की बचत होती है, क्योंकि यह पारंपरिक ऊष्मा पाश्चराइजेशन की तुलना में कम तापमान पर काम करता है।
- खाद्य अपशिष्ट में कमी: फलों और सब्जियों के नष्ट होने की समस्या को 40% तक कम किया जा सकता है।
- किसानों की आय में वृद्धि: प्रसंस्कृत उत्पादों की गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ बढ़ने से 30-40% तक अधिक मूल्य प्राप्त होने की संभावना।
- स्थानीय बाजार और निर्यात में वृद्धि: उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पाद, विशेष रूप से आलू, टमाटर, आम और गन्ने से बने उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
4. चुनौतियां और अपेक्षाएं
कृषि बजट 2025 उत्तर प्रदेश में पल्स्ड इलेक्ट्रिक फील्ड (PEF) तकनीक के जरिए खेती और खाद्य प्रसंस्करण को बेहतर करने का अवसर है। NIAP के शोध के मुताबिक, उर्वरक कीमतों में 30-40% वृद्धि छोटे किसानों के लिए चुनौती है, जबकि CSE की रिपोर्ट चेतावनी देती है कि मिट्टी क्षरण और पानी की कमी आय दोगुनी करने में बाधा बन सकते हैं। ICAR के अनुसार, राज्य का 60% कृषि क्षेत्र बारिश पर निर्भर है। बजट में सौर पंप के लिए 15,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जो सिंचाई लागत 20-25% कम करेंगे।
PEF तकनीक पर शोध
NREL के अध्ययन से पता चलता है कि PEF फलों-सब्जियों के सुखाने में 30-50% ऊर्जा बचाता है, जैसे गन्ने और लीची में। IARI की रिपोर्ट के अनुसार, यह तकनीक रस उत्पादन में 15-20% पैदावार बढ़ाती है। डिजिटल खेती के लिए 2,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी PEF को लागू करने में मदद करेगी, लेकिन TRAI के डेटा से पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 50% इंटरनेट कवरेज है, जिसे भारत नेट के 20,000 करोड़ रुपये से सुधारा जाएगा। विश्व बैंक की रिपोर्ट सुझाती है कि PEF से खाद्य प्रसंस्करण में 10-15% लागत बचत और शेल्फ लाइफ बढ़ सकती है। 5,000 नए FPO के लिए 1,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जो नीति आयोग के अनुसार बाजार पहुंच 30% बेहतर करेंगे। PEF तकनीक और बजट 2025 उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण को बदल सकते हैं, लेकिन उर्वरक सब्सिडी और जल संकट पर ध्यान जरूरी है। CSE के शोध के अनुसार, जलवायु परिवर्तन से 2030 तक उत्पादन 10-15% कम हो सकता है। PEF का प्रभाव शोध आधारित कार्यान्वयन पर निर्भर है।
#कृषि मंत्रालय, भारत सरकार
- वेबसाइट: https://agriculture.gov.in
- उपयोगिता: कृषि मंत्रालय की वेबसाइट पर किसानों के लिए योजनाएं, नीतियां, और नवीनतम अपडेट उपलब्ध हैं।
#FPO के लिए प्रमुख बैंक ऋण योजनाएँ
Additional Research Insights with Website Links:
- PEF और ऊर्जा बचत: 30-50% ऊर्जा कमी – NREL
- रस उत्पादन: 15-20% पैदावार वृद्धि – IARI
- उर्वरक कीमत: 30-40% वृद्धि – NIAP
- जल संकट: 60% बारिश निर्भरता – ICAR
- इंटरनेट पहुंच: 50% ग्रामीण कवरेज – TRAI
- FPO प्रभाव: 30% बाजार पहुंच – नीति आयोग
- लागत बचत: 10-15% बचत – विश्व बैंक
- जलवायु जोखिम: 10-15% उत्पादन कमी – CSE