अनिल सिंह बने वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य

अनिल सिंह बने वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य
अनिल सिंह
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वाराणसी के मशहूर समाजसेवी और पर्यावरणविद् अनिल सिंह को वैज्ञानिक सलाहकार समिति (Scientific Advisory Committee) का सदस्य नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति उनके सामाजिक और पर्यावरणीय क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों को मान्यता देती है। यह न केवल अनिल सिंह के लिए, बल्कि पूरे वाराणसी और उत्तर प्रदेश के लिए गर्व का विषय है।

अनिल सिंह का प्रेरणादायक सफर

अनिल सिंह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मेधावी छात्र रहे हैं। उन्होंने महामना मदन मोहन मालवीय को अपना आदर्श माना है और उनके विचारों से प्रेरित होकर समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करना शुरू किया। उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय राममूर्ति सिंह के मार्गदर्शन में समाजहित के कार्यों में योगदान दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में संस्कारशाला चलाकर उन्होंने युवाओं को सही दिशा दिखाने का काम किया है। उनके प्रयासों से ग्रामीण समुदाय में शिक्षा और संस्कार का प्रसार हुआ है।

पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी भूमिका: अनिल सिंह का अभूतपूर्व योगदान

पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में अनिल सिंह का योगदान अतुलनीय है। उन्होंने अपनी समर्पित सोच और अथक प्रयासों से समाज को हरित और स्वच्छ बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। उनकी प्रतिबद्धता सिर्फ वृक्षारोपण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि जल संरक्षण, जैव विविधता संवर्धन, और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए भी उन्होंने कई परियोजनाओं पर कार्य किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नवग्रह वाटिका का निर्माण

अनिल सिंह की दूरदृष्टि और पर्यावरण प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण नवग्रह वाटिका है, जिसे उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग से विकसित किया। इस वाटिका का उद्देश्य न केवल प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ावा देना था, बल्कि इसका आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है। नवग्रहों के आधार पर बनाई गई इस वाटिका में विशेष प्रकार के वृक्ष लगाए गए हैं, जो प्रत्येक ग्रह के प्रतीक माने जाते हैं। माना जाता है कि इन वृक्षों का पर्यावरणीय और आध्यात्मिक प्रभाव सकारात्मक होता है।

एक करोड़ पौधारोपण अभियान: काशी को हरित बनाने का संकल्प

अनिल सिंह ने काशी में एक करोड़ पौधे लगाने का संकल्प लिया, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। इस विशाल लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए अब तक 30 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं। यह अभियान सिर्फ वृक्ष लगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि पौधों की उचित देखभाल और उनके संरक्षण पर भी ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि पौधारोपण केवल एक प्रतीकात्मक गतिविधि न रहे, बल्कि स्थानीय समुदाय, स्कूलों, कॉलेजों और विभिन्न संस्थानों को इस अभियान से जोड़ा जाए। इससे स्थानीय नागरिकों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी और वृक्षों को पोषित करने की जिम्मेदारी साझा की गई।

काशी के 100 तालाबों का संरक्षण और पुनरुद्धार

जल संरक्षण के क्षेत्र में भी अनिल सिंह का योगदान सराहनीय है। उन्होंने काशी के 100 तालाबों को स्वच्छ और संरक्षित करने का संकल्प लिया है। ये तालाब न केवल जल स्रोत के रूप में कार्य करते हैं, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को भी संतुलित बनाए रखते हैं। कई तालाब जो समय के साथ गंदगी, अतिक्रमण और उपेक्षा के शिकार हो गए थे, उन्हें फिर से संरक्षित कर उनके जलधारण क्षमता को बढ़ाया गया। इस पहल से न केवल भूगर्भीय जलस्तर में सुधार हुआ, बल्कि इन तालाबों के आस-पास का पर्यावरण भी स्वच्छ और सुंदर बना।

कोरोना काल में जल संरक्षण के लिए विशेष प्रयास

कोरोना महामारी के दौरान, जब पूरी दुनिया स्वास्थ्य संकट से जूझ रही थी, उस समय भी अनिल सिंह ने पर्यावरण और जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने कई स्थानों पर तालाब खुदवाए और जल संचयन टैंक बनाए, जिससे भूगर्भ जलस्तर को बनाए रखने में सहायता मिली। इस पहल से न केवल सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जल उपलब्धता सुनिश्चित हुई, बल्कि किसानों और ग्रामीण समुदायों को भी लाभ हुआ। जल संचयन की यह तकनीक जल संकट से निपटने के लिए एक स्थायी समाधान के रूप में कार्य कर रही है।

जल संरक्षण और महिला सशक्तिकरण

Anil Singh

अनिल सिंह ने जल संरक्षण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने महिलाओं को जल संरक्षण में शामिल करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया। तीन सालों में 328 रैलियों का आयोजन कर उन्होंने लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया। गंगा नदी की सफाई में भी उनका योगदान सराहनीय है। उनके प्रयासों से गंगा की स्वच्छता और संरक्षण को नई दिशा मिली है।

पुरस्कार और सम्मान

अनिल सिंह को उनके सामाजिक और पर्यावरणीय कार्यों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं।

  • 2012: काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा सम्मान।
  • 2016: रोटरी क्लब बनारस द्वारा एक्सेलेंस सम्मान।
  • 2021: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पूर्वांचल सम्मान।
  • 2020: “भारत गौरव रत्न” से सम्मानित।
  • पीडीएफ यूनिवर्सिटी, अमेरिका: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर्यावरण अवार्ड।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: पौधरोपण में सहभागिता के लिए सम्मान।

वैज्ञानिक सलाहकार समिति का महत्व

वैज्ञानिक सलाहकार समिति का गठन सरकारी परियोजनाओं और नीतियों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मजबूत बनाने के लिए किया गया है। इस समिति का मुख्य उद्देश्य है:

  1. विशेषज्ञ सलाह: पर्यावरण, कृषि और तकनीकी क्षेत्रों में विशेषज्ञ सलाह प्रदान करना।
  2. स्थायित्व और नवाचार: विकास परियोजनाओं में स्थायित्व और नवाचार सुनिश्चित करना।
  3. संतुलन: समाज और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाना।

अनिल सिंह की नियुक्ति से क्षेत्रीय और राष्ट्रीय नीतियों को नया दृष्टिकोण मिलेगा। उनके अनुभव और विशेषज्ञता से समिति के कार्यों को गति मिलेगी। वाराणसी के किसान अनिल सिंह की नई भूमिका को लेकर उत्साहित हैं। युवाओं का मानना है कि अनिल सिंह का नेतृत्व समाज और पर्यावरण के लिए नए अवसर लाएगा। उनके प्रयासों से युवाओं को प्रेरणा मिलती है और वे भी समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में आगे आ रहे हैं। अपनी नियुक्ति पर अनिल सिंह ने कहा, “यह मेरे लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है। मैं समाज और पर्यावरण के लिए काम करता रहूंगा। नई नीतियों में अपनी विशेषज्ञता का योगदान दूंगा। मेरा उद्देश्य है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाया जाए।”

अनिल सिंह की नियुक्ति वाराणसी और उत्तर प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। उनकी विशेषज्ञता और अनुभव से वैज्ञानिक सलाहकार समिति को नई दिशा मिलेगी। साथ ही, समाज और पर्यावरण के सुधार में नई ऊर्जा का संचार होगा। उनके प्रयासों से न केवल वाराणसी, बल्कि पूरे देश को पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक विकास के क्षेत्र में लाभ मिलेगा। अनिल सिंह का यह सफर हम सभी के लिए प्रेरणादायक है।

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